Thursday 9 August 2018

हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव पर मेरी ग्राउंड रिपोर्ट


अन्य वेबसाइट पर प्रकाशित शिक्षा से संबंधित मेरे लेख

Monday 30 January 2017

सोशल मीडिया के बेहतर उपयोग के लिए टिप्स


फेसबुक

 काम की बातें पोस्ट करें- अपनी बात को कम-से कम शब्दों में रखें। लोगों का ध्यान आकर्षित करने और पोस्ट को इंटरेक्टिव बनाने के लिए पोस्ट के साथ फोटो, वीडियो और लिंक भी डालें।


·        एक्सक्लूसिव सामग्री- खबरों के दूसरे पहलू को पोस्ट करें और अपडेटेड रहें। फोटो और वीडियो से अपनी बात कहें।

·        बातचीत शुरू करें- पोस्ट पर बातचीत शुरू करें, प्रश्न पूछें और कॉमेंट का तुरंत जवाब दें। लोगों को लाइक, शेयर और कामेंट के लिए प्रोत्साहित करें।

·        एक-दूसरे को प्रमोट करें- दूसरे संस्थान/संगठन/ग्रुप के साथ काम करें। दूसरे पार्टनर संगठन को ज्वाइंन और लाइक करें। उन्हे फॉलो करें और उनके न्यूज को शेयर करें।

·        पेज का रेटिंग करवायें - पेज की रेटिंग व रिव्यू के लिए अपने दोस्त और फॉलोवर को आमंत्रित करें।

·        सही समय और सटीक पोस्ट का चयन- ‘Facebook Insight’ सही समय और सटीक पोस्ट के निर्धारण में आपकी मदद करती है। यहां पेज को मिले लाइक, पोस्ट की पहुंच, टिप्पणी, लोगों का जुड़ाव और उनके रिस्पांस का पता लगाया जा सकता है।

·        नियमित पोस्ट- लगातार गुणवत्तापूर्ण पोस्ट से माहौल बनाकर आप अपने काम से लोगों को अवगत करवा सकते हैं।

·        पाठक का चयन- अपने लक्ष्य के अनुसार अपना पाठक वर्ग चुनें व उसके अनुसार पोस्ट को उम्र, लिंग आदि के आधार पर रूचिकर बनाने का प्रयास करें।
·        अपने समर्थकों से पोस्ट पर फीडबैक लें। उनके टिप्पणियों को हाई-लाइट्स करते हुए दोबारा पोस्ट शेयर करें।

ट्विटर
#Trend- हैशटैग, उपयोगकर्ता के द्वारा बनाया गया वर्गीकरण या टॉपिक है। 'ट्रैंड' पर क्लिक करके आप सबसे लोकप्रिय टॉपिक को जान सकते हैं। ट्रैंड पर क्लिक करते ही उससे संबंधित सभी ट्वीट (मैसेज) एक साथ आ जाते हैं। आप किसी भी विषय पर ट्वीट सर्च के द्वारा हैशटैग बनाकर उस विषय से संबंधित ट्वीट की मॉनिटरिंग कर सकते हैं।
ट्वीट- नियमित ट्वीट्स से आप अपने संगठन में चल रही गतिविधी से लोगों को अवगत करवा सकते हैं।

·        रीट्विट- अपने कम्युनिटी से जुड़ी बातों को आप रीट्विट यानि दोबारा ट्वीट कर सकते हैं।

·        न्यूज व प्रमोशन- आपनी योजनाएं शेयर करें। किसी कार्यक्रम जैसे कि आपको भर्ती करनी हो या फिर ग्रुप्स में ड्राइविंग करनी हो, इसे ट्विट करके बताएं।

·        लोगों को फॉलो करें- ज्यादा से ज्यादा लोगों को फॉलो करना जरूरी है। ऐसा देखा गया है कि ट्विटर पर आप जिसे फॉलो करते हैं वो आपको भी फॉलो करते हैं। अपने उपभोक्ताओं की रूचि को ध्यान में रखकर चैट करें। अपने नेटवर्क को बढ़ाने के लिए समान सोच के लोगों की खोज जारी रखें।

·        पोस्ट लिंक- अपने ब्रांड/उपभोक्ता की रूचि के लायक सामग्री का लिंक ट्विटर पर शेयर करें। नये लेख, रिपोर्ट और ब्लॉग आदि के लिंक पोस्ट करते रहें।

·        प्रश्न पूछें- प्रासंगिक विषयों पर पूछे गए प्रश्नों के जवाब पर ज्यादातर लोग अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।

·        रीट्विट करने पर धन्यवाद दें- ट्विटर उपयोगकर्ता प्राय: रीट्विट करने वाले के हैंडल से सार्वजनिक रूप से धन्यवाद करते हैं।

·        अपने हैशटैग की निगरानी करें- ट्विटर सर्च ट्रैंड हो रहे ट्वीट पर निगरानी रखें।

इंस्टाग्राम

·        गुणवत्ता वाले फोटो शेयर करें
·        बायो स्पेसका सावधानी से प्रयोग करें
·        कहानी के द्वारा लोगों को जोड़ें
·        हैशटैग से जोड़ें
·        फोटो की बजाय पूरे पोस्ट पर ध्यान दें
·        अपनी कम्युनिटी बनायें और उसके रूचि की पहचान करें
·        कैप्सन को छोटा रखें
·        अपने इंस्टाग्राम के पोस्ट को दूसरे नेटवर्क पर भी डालें। दिन में एक या दो बार पोस्ट करें।
·       पोस्ट की एक थीम तैयार करें और उसमें निरंतरता बनायें रखें
·        संदर्भ से जुड़ी बातें शेयर करे

यू-ट्युब

·        वीडियो पर हुए कॉमेंट पर नजर रखें और दर्शकों द्वारा बिताये हुए समय का अनुमान लगाएं
·        दर्शकों की संख्या बढ़ायें और अपनी कम्युनिटी बनायें
·        समान प्रकृति के चैनल को सब्सक्राइब करें
·        अलग-अलग चैनल की ब्राउजिंग करें
·        अपने सब्सक्राइबर को फॉलो करें। यह समान सोच वाले दर्शकों के बीच विचार-विनमय का माहौल तैयार करेगा।
·        अपने वीडियो को विभिन्न सोशल मीडिया पर शेयर करें। अगल-अलग नेटवर्क तक पहुंच होने से इसकी पहुंच बढ़ेगी
·        वीडियो को मिले पसंद और नापसंद का विश्लेषण करें यह वीडियो को मिले प्रतिक्रिया के आधार पर आगे की रणनीति बनाने में मदद करेेगी।



प्रोजेक्ट

Wednesday 28 December 2016

हिन्दी का बदलता स्वरूप




पीएलएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 780 भाषाएं बोली जाती हैं। एक बहुभाषी और कई संस्कृतियों वाले देश में संपर्क भाषा हिन्दी ही है। हिन्दी देश की जनभाषा है। यह देश के पढ़े-लिखे से लेकर अनपढ़, अमीर और गरीब के बीच संवाद की भाषा बनी हुई है।

विज्ञान, तकनीक और उच्च शिक्षा में हिन्दी में कम काम होने के बावजूद देश में हिन्दी का प्रसार बढ़ा है। आज बंगाल, तमिलनाडु जैसे राज्यों के युवा दूसरे भाषाभाषी राज्यों में जीविका के लिए निकल रहे हैं। इस हालत में उनके जनसंपर्क की भाषा हिन्दी ही होती है। आज हिन्दी की बदौलत आप कश्मीर से कन्याकुमारी तक काम चला सकते हैं। आज हिन्दी कमोबेश देश के हर हिस्से में स्वीकार्य हो गई है।
 एक सर्वे के मुताबिक 1991 में जहां 180 मिलियन लोग हिन्दी का इस्तेमाल करते थे। वहीं 10 सालों में यह संख्या 258 मिलियन तक पहुंच गयी है। कई विदेशी विश्वविदयालयों में हिन्दी को भाषा के रूप में पढ़ाया जाने लगा है। वहीं विदेशों से हिन्दी सीखने के लिए भारत आने वाले छात्रों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आज हिन्दी चौथी सबसे लोकप्रिय भाषा बन गई है।
ऐसा हिन्दी भाषा का देश के विभिन्न भाषाओं, बोलियों एवं उनकी संस्कृतियों को आत्मसात करने की वजह से हो पाया है। और यह काम साहित्य एवं अकादमी से बढ़कर हिन्दी फिल्मों ने किया है। जिसने इसे विभिन्न गैर हिन्दीभाषी क्षेत्रों से लेकर विदेशों में लोकप्रिय बनाया है।

फिल्मों और विज्ञापन ने इसे लोगों तक पहुंचाने के साथ-साथ ग्लैमर भी बनाया है। इंटरनेट पर हिन्दी के कई ब्लॉग और वेबसाइट अपने नये प्रयोग और तकनीक से खासे लोकप्रिय हो रहे हैं। हाल में लीक से हटकर 'लप्रेक' जैसे साहित्य लिखे गये जिसे युवाओं ने  काफी पसंद किया। इलेक्ट्रॉनिक हिन्दी न्यूज मीडिया ने गैर हिन्दीभाषी लोगों के दरवाजे तक अपनी दस्तक दी है।

हिन्दी में ग्लैमर आ रहा है। अब यह गीत, सिनेमा, ब्लॉग और वेबसाइट के बाद यह हमारे साहित्य में भी दिख रहा है। विज्ञान, तकनीक, शोध की भाषा हिन्दी को बनाकर इसे और अधिक ग्लैमर छवि दी जा सकती है। इसे और अधिक गलैमर प्रदान करने के लिए राजनेताओं, अभिनेताओं, क्रिकेटर एवं अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के द्वारा हिन्दी को अपनाने की जरूरत है।


Tuesday 6 December 2016

उद्यमी कैसे बनें

उद्यमी बनना एक जोखिम भरा और सम्मानित पेशा है। बेशक, इस पेशे में जोखिम और तनाव है, तो यहां पुरस्कार के साथ पूर्णता का अहसास भी है। आपके भीतर की लगन, धैर्य और नये विचार जल्द ही आपको खुद का बॉस बना सकती है। उद्यमी कई प्रकार के होते हैं। सामाजिक उद्यमी समाज/देश की सामाजिक, व्‍यापार, शैक्षणिक और आर्थिक परिस्थितियों में सहायता, सुधार और रूपांतरण के लिए प्रेरित होते हैं। यहां हम उद्यमी के आवश्यक गुणों पर बात कर रहे हैं। ये गुण सामाजिक उद्यमी के लिए भी उतना ही जरूरी है, जितना की किसी अन्य प्रकार के उद्यमियों के लिए। यहां व्यावसाय का तात्पर्य आपके उद्यम द्वारा किए जाने कार्यपद्धति से है।

भाग एक

अपने व्यक्तित्व को पहचानें

1. अपनी प्राथमिकता जानें
स्वयं को जानने के लिए आप खुद से पूछें, आप अपने जिन्दगी में क्या पाना चाहते हैं? आप अपने वर्तमान व्यावसाय को कहां ले जाना चाहते हैं? आपके लिए महत्वपूर्ण क्या है? और यह भी कि आप क्या देने के लिए तैयार हैं!

2. खुद को परखें
अपना मालिक स्वयं बनना कई लोग चाहते हैं लेकिन यह क्षमता कुछ लोगों में बाकियों से बेहतर होती है। आप किसी परिस्थिति में कैसे व्यवहार करते हैं, यह जानना आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करेगी।


क्या आप कई जिम्मेवारियों को एक साथ उठा पाने में सक्षम हैं? ज्यादातर उद्यमियों का कोई ‘बैकअप’ नहीं होता है। अपने व्यावसाय की सफलता से आपकी सफलता या विफलता जुड़ी होती है।

क्या आप लोगों से बातचीत करने में आनंद लेते हैं? उद्यमी को विभिन्न लोगों से संपर्क स्थापित करना पड़ता है। शुरूआत में कई लोगों से संपर्क करना पड़ता है। अगर आप लोगों से बात करने में सहज नहीं हैं तो आपको अपने व्यावसाय को जमीन पर लाने में मुश्किल आ सकती है।

क्या आप अनिश्चितता और असफलता को झेलने के लिए तैयार हैं? बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स जैसे सफलतम उद्यमी को भी असफलता का सामना करना पड़ा। जबतक कि उन्होंने सफल होने के मंत्र को नहीं जान लिया।
क्या आप समस्या को दूर करने के लिए रचनात्मक समाधान खोज पाने में सक्षम हैं? उद्यमी को कदम-दर-कदम समस्याओं से निपटने के लिए रचनात्मक समाधान ढूंढने होते हैं। एक सफल उद्यमी बनने के लिए समस्याओं को जूझने और उसे दूर करने के लिए सोचना जरूरी है।

3. अपने क्षमताओ को पहचानें 
ईमानदारी से अपनी  कमियों और क्षमताओं को पहचानें। अपने निवेशकों और उपभोक्ताओ का विश्वास जीतने के लिए अपने क्षमताओं और आइडिया को बेहतर तरीके से रखें।

सफलता के लिए दृढनिश्चय रहें
उद्यम शुरू करने के शुरुआती दिनों में आपका दृढनिश्चय और उर्जा ही बाधाओं से पार पाने में मदद करता है। खुद पर विश्वास बनाएं रखने के लिए आदर्शवादी होने के साथ अपने सही स्थिति को जानने के लिए व्यावहारिक होना भी आवश्यक है।

भाग दो 

आधार बनाएं


1. अपना कार्यक्षेत्र चुनें
कोई भी व्यावसाय एक दमदार आइडिया से शुरू होता है। व्यावसाय या तो जीवन को आसान बनाने के लिए कोई सेवा हो सकती है या कोई प्रोडक्ट हो सकता या दोनों का मिला-जुला रूप हो सकता है।

यह जरूरी नहीं है कि आपके पास कोई क्रांतिकारी या बिल्कुल नया आइडिया हो। लेकिन आपके पास प्रतियोगियों से बेहतर करने का आइडिया होना चाहिए।

आपके सफल होने की संभावना अधिक होगी अगर आप अपने विषय को बेहतर तरीके से समझते हों और उसे प्यार करते हों। आपके गांव में कपड़े की कोई दुकान नहीं है। लेकिन आपको दुकान खोलना पसंद नहीं। तब कपड़े की दुकानदारी में सफलता की संभावना कम है।

आइडिया के लिए सबसे पहले अपने संभावित बाजार की सूची बनाएं। उदाहरण के लिए जहां लोग सेवाओं एवं प्रोडक्ट के लिए जाते हैं, एवं जिसकी जरूरत है। पूंजी, लागत एवं जरूरत को ध्यान में रखते हुए तीन प्रमुख सेवा/प्रोडक्ट को चुनें। अब उन प्रोडक्ट/सेवाओं को चुनें जो सबसे आसान एवं सुलभता से दी जा सकती है।

2. अपने बाजार के बारे में गहराई से जानें
किसी व्यावसाय को शुरू करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपके द्वारा दी जाने वाली प्रोडक्ट/सेवा की मांग है या नहीं। आप जो उत्पाद लाना चाहते हैं, वह बाजार में उपलब्ध न हो या कम हो लेकिन आप उसे तैयार करने की क्षमता रखते हों।

व्यावसाय से संबंधित कई सूचना ऑनलाइन उपलब्ध होती है। अपने व्यावसाय से संबंधित जानकारी को इंटरनेट पर सर्च करें और संबंधित जर्नल एवं पत्रिका पढ़ें। जनगणना के डाटा से भी कई प्रकार की सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है।

अगर आप कोई उद्यम स्थापित करना चाहते हैं तो भारत सरकार के www.business.gov.in वेबसाइट पर जाएं। यहां उद्यम एवं कंपनी खोलने से संबंधित जानकारी हिन्दी एवं अंग्रेजी में उपलब्ध है।

3. अपने संभावित उपभोक्ता से बात करें
दुनिया की सबसे बेहतर सेवा और प्रोडक्ट बनाने का आइडिया होने के बावजूद, खरीददार के आभाव में आपका व्यावसाय बंद हो सकता है।

अपने व्यावसाय की योजना मित्र को बताएं, आपके मित्र आपकी योजना के खामियों को बेहतर रूप से बता सकते हैं। हालांकि आलोचना सुनना आसान नहीं होता, लेकिन यह आपके व्यावसाय की त्रुटियों को दूर करने में मददगार हो सकता है।

4. जोखिम को पहचानें
हमने पहले ही जिक्र किया है कि उद्यम में अधिक जोखिम और अधिक लाभ है। अपने कुल निवेश की गणना करें। कुल निवेश में श्रम और समय भी शामिल होता है।

बिना लाभ कमाये व्यावसाय को कबतक चलाया जा सकता है। बचत, उधार और आय के अन्य स्त्रोतों को ध्यान में रखकर इसकी गणना करें। अक्सर छोटे उद्यम शुरूआती दिनों में फायदा नहीं देते। क्या आप बिना वेतन लिये के कुछ दिनों या महिनों या सालों तक  अपने उद्यम या व्यावसाय को चला सकते हैं?

5. ‘स्वीकार योग्य घाटे’  को समझना
  तय करें कि व्यावसाय में कितना घाटा बर्दास्त कर सकते हैं। व्यावसाय के असफल होने की स्थिति में आप घाटे से जल्द उबर सकते हैं।

6. योजना नहीं बल्कि अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करें
 उद्यमी बनने के लिए विचारों में लचीलापन रखना जरूरी है। आप प्रत्येक उद्यम में सबकुछ नियंत्रित नहीं रख सकते हैं, बदलाव व्यावसाय को बचाये रखने के लिए बहुत जरूरी है। अगर आप अपने पूर्व के योजना पर अड़े रहें तो आप बरबाद भी हो सकते हैं।

भाग तीन

अपने व्यावसाय के योजनाओं को लिखें

1. व्यावसाय के लिए योजना बनाएं
 बिजनेस प्लान यानी व्यावसाय के लिए योजना का तात्पर्य आपके उद्यम द्वारा दी जाने वाली सेवाओं/प्रोडक्ट एवं ग्राहकों से है। बाजार का विश्लेषण में सेवाओं/प्रोडक्ट का विस्तृत विवरण और आने वाले तीन से पांच सालों में उद्यम की स्थिति  शामिल होती है। प्राय: निवेशक, व्यावसाय की विस्तृत योजना को देखना चाहता है।

2.अपने कंपनी/सोशल एंटरप्राइजेज का विवरण लिखें 
 आपका सोशल एंटरप्राइजेज/कंपनी क्या काम करती है? यह किन जरूरतों को पूरा करती है? आपके द्वारा दी जाने वाली प्रोडक्ट और सेवा प्रतियोगियों से कैसे बेहतर है? इन प्रश्नों के उत्तर में संक्षिप्त और सटीक विवरण लिखें। यह इतना संक्षेप हो कि यह “एलिवेटर पीच” की तरह लगे।

3.अपने बाजार के विश्लेषण को प्रस्तुत करें-
बाजार को भलीभांति समझें। इससे चुने गए क्षेत्र के विशेषताओं, लक्षित ग्राहकों और मार्केट में आपकी अपेक्षित वित्तिय भागीदारी के बारे में बात कर पाने में सक्षम होंगे। बाजार के बारे में आपकी जानकारी विस्तृत रूप में होनी चाहिए। निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए यह समझाना जरूरी है कि आप क्या करने जा रहे हैं।
शुरुआती दौर में ज्यादातर उद्यमी अपने ग्राहकों को केन्द्रित करने के बजाय ‘फैलाकर’ देखते हैं। आपकी सेवा और प्रोडक्ट को सभी ग्राहक पसंद करते हैं, इस भ्रम में न रहें। शुरूआत छोटे स्तर से करना सही होता है।
4.प्रबंधन एवं संगठन संरचना के बारे में लिखें
 शुरूआती दौर में आप भले ही अपने कंपनी में अकेले हो सकते हैं। फिर भी भविष्य की योजनाओं को लिखें। मसलन, आपके कंपनी/उद्यम का मालिक कौन है?  आपके साथ काम करने वाले लोगों की जिम्मेदारी क्या है? कंपनी/उद्यम के विस्तार होने की स्थिति में कंपनी/उद्यम की संरचना कैसी होगी। आप अपने कर्मचारियों के काम का बंटवारा आदि कैसे करेंगे? आपके व्यावसाय/उद्यम/सामाजिक उद्यम/कंपनी में निवेश या दान देने वाले लोग उसका भविष्य भी जानना चाहते हैं।

5.अपने प्रोडक्ट एवं सेवाओं के बारे में सूचित करें
 वास्तव में ग्राहकों को क्या दे रहे हैं। आपका व्यावसाय ग्राहकों के किन जरूरतों को पूरा करेगा?  ग्राहकों को प्रतियोगिता के बाद कौन-सा नया प्रोडक्ट/सेवा प्राप्त होगा?

प्रोडक्ट/सेवा के बारे में अपने ग्राहकों के नजरिया को प्रस्तुत करें। अपने संभावित ग्राहकों से बात करने के बाद आपको अपने प्रोडक्ट/सेवा के बारे में ग्राहकों का विचार पता चल जाएगा।

अगर आपके पास प्रोडक्ट, सेवा के रूप में कोई पेटेन्ट के योग्य सूचनाएं या कोई अन्य बौद्धिक सम्पदा है तो उसे पेटेंट करवाएं। आसानी से नकल करने योग्य प्रोडक्ट या सेवा के लिए आपका निवेशक तैयार नहीं होगा।

6.मार्केटिंग एवं विपणन की रणनीति बताएं
- (इस खंड में बताएं कि किस प्रकार आप) ग्राहकों को अपने व्यावसाय से जोड़े रखने की रणनीति बताएं। अपने व्यावसाय को बढ़ाने के लिए आपकी मार्केटिंग रणनीति क्या होगी?  बताएं, क्या पहले से ही कुछ ग्राहक जुड़े हुए हैं या आप शुरू से शुरुआत करने जा रहे हैं।

7.फंडिंग के लिए आवेदन
  अगर आप निवेश या बैंक लोन प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको अपना व्यावसाय स्थापित करने के लिए शुरूआती कितने धन की जरूरत होगी यह बताएं। आप खुद कितना पैसा लगाना चाहते हैं, कितना पैसा निवेशक या बैंक से लेना चाहते हैं और सबसे जरूरी बात इन पैसों का खर्च कैसे करने वाले हैं।
खर्च को विभिन्न मदों में बांटकर बताएं।
8.अपने वित्तीय(खाते की) स्थिति बताएं
अगर आप व्यावसाय/उद्यम की शुरुआत कर रहे हैं तो आपको ज्यादा कागजी कारवाई करने की जरूरत नहीं है। लेकिन बैंक में जमा धन या कोई अन्य सम्पत्ति आपको लोन आदि लेने में मदद कर सकती है। लेकिन याद रहे कि आप कितना घाटा सह सकते हैं, उतनी ही सम्पत्तियों पर जोखिम लें।
खर्च का अनुमान लगाएं। यह बाजार को समझने में मदद करेगा। आपके प्रतियोगी अपने खर्चे को कैसे पूरा कर रहे हैं? उनका आय-व्यय कितना है? इसको समझकर आप अपने उद्यम के भविष्य के खर्च का अनुमान लगा सकते हैं।
अनुमानित खर्च और फंडिंग के लिए किए गए आवेदन करीब बराबर होने चाहिए। अगर आपका अनुमानित खर्च 10 लाख है और आपने पांच लाख रुपया ही आवेदन किया है। ऐसी हालत में आपके फंडर को लग सकता है कि आपने पूरी तैयारी और जांच-पड़ताल नहीं की है।

9. पिछले प्रोफाइल का इस्तेमाल करें
 विश्वनीयता के लिए पूर्व की उपलब्धि, योग्यता, कौशल आदि को दर्शाते हुए रेफरेंस लेटर या डॉक्युमेंट को अपने आवेदन/प्रस्ताव के साथ जोड़ें। यह डॉक्युमेंट आपका व्यक्तिगत या उद्यम(पुराना होने की स्थिति में) का हो सकता है। यह लोन/ निवेश प्राप्त करने में मददगार हो सकता है।
10.सारांश लिखें
असल में यह आपके व्यावसाय के योजना के सबसे पहले आता है। लेकिन सारांश तब लिखें जब अपने उद्यम के के बारे में पूरी योजनाएं बना लें। यह आपके उद्यम का ‘स्नैपशॉट’ होता है। इन प्रश्नों को ध्यान में रखकर सारांश लिखें,  आपके उद्यम का लक्ष्य क्या है? इसका मिशन क्या है? अपना एवं अपने उद्यम का परिचय, आदि। अपने बैकग्राउंड एवं अनुभव का प्रोडक्ट और सेवा से जुड़ाव को हाईलाइट करें। सारांश एक पेज से अधिक नहीं होना चाहिए।

भाग चार

अपना पिच तैयार करें

1.अपना एलिवेटर पिच तैयार करें
एलिवेटर का इस्तेमाल बड़ी इमारतों में एक मंजिल से दूसरी मंजिल पर जाने के लिए किया जाता है। यानि की एलिवेटर पिच को एलिवेटर में बिताने वाले समय के भीतर खत्म करना होता है। यह छोटा होता है। एलिवेटर पिच में इतनी सूचना हो कि सुनने के बाद श्रोता आपके बारे में, आपकी योजना/उद्यम के बारे में और स्वंय के फायदे के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ले। एलिवेटर पिच तैयार करने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखें।

पहला, आपका उद्यम किन समस्या और जरूरत को पूरा करने के लिए है। आपका कथन उन समस्या के सामाधान के साथ शुरू हो सकता है। जैसे अगर अगर आप शिशु-मातृ-मृत्यु दर को कम करने के लिए कोई सामाजिक-उद्यम शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए आप अपने वाक्य की शुरुआत कर सकते है, “क्या आप जानते हैं भारत में 56 हजार महिलाएं, प्रसव के दरम्यान दम तोड़ देती हैं?”
दूसरा, आपके द्वारा दी जाने वाली प्रोडक्ट एवं सेवाएं कैसे पहचान की गई समस्या को दूर कर सकता है। यह एक दो लाइन से अधिक नहीं होना चाहिए। इसमें भारी-भरकम शब्द इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
तीसरी, अपने प्रोडक्ट और सेवा के प्रमुख लाभ के बारे में बताएं। यह आपके उपभोक्ता को कैसै लाभ पहुंचा सकता है? और यह पूर्व के प्रोडक्ट और सेवा से कैसे बेहतर है?
अंतिम बात, उद्यम को चलाने के लिए निवेशक से आप क्या अपेक्षा रखते हैं? यह भाग थोड़ा बड़ा हो सकता है। इस हिस्से में आप अपने आधारभूत(काम चलने लायक) जरूरत, आपके अनुभव और विश्वसनीयता के साथ निवेशक के विश्वास करने की वजह को रेखांकित करें।
अपने ‘एलिवेटर पिच’  को संक्षिप्त रखें। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक मिनट से अधिक नहीं होना चाहिए। ध्यान रखे, आपके पास बताने के लिए बहुत थोड़ा समय है। श्रोता का ध्यान भटकने न पाए।
2.अपने व्यावसाय की योजना को बताने के लिए पावर प्वाइंट बनाएं
पावर-प्वाइंट प्रेजेंटेशन बनाएं। कोशिश करें कि 15 मिनट में अपने व्यावसाय के प्रत्येक पक्ष को रख पाएं। पावर-प्वाइंट-प्रेजेंटेशन में सभी सूचनाएं संक्षिप्त रूप से होनी चाहिए।
3.अपने ‘पिच’ का अभ्यास करें
 पहली बार ‘एलिवेटर पिच’ देने के दरम्यान आप लड़खड़ा सकते हैं। अपने दोस्तों, सहकर्मी और अन्य परिचितों के सामने पिच दें, उनसे अपने व्यावसाय के प्लान के बारे में बहस करें।
4.फीडबैक लें
पहली बार आप गलती कर सकते हैं। अपने लोगों से ईमानदारी के साथ फीडबैक देने को कहें। फीडबैक इन प्रश्नों को ध्यान में रखकर लें, क्या आप अपने आइडिया को सही तरह से रख पा रहे हैं? क्या आप नर्वस हो रहे हैं? क्या आप बहुत तेजी के साथ या बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे हैं? क्या थोड़ा विस्तार से बताने की जरूरत है या संक्षिप्त करना चाहिए?

भाग  पांच

अपना आइडिया दूसरों को बताएं

1. नेटवर्क-नेटवर्क-नेटवर्क,
अपने क्षेत्र से जुड़े ट्रेड, इंडस्ट्री या सम्मेलनों का हिस्सा बनें। प्रतिभागियों से बात करें। अन्य उद्यमियों के साथ मजबूत सामाजिक रिश्ता बनाएं। यह प्रोफेशनल और गैर प्रोफेशनल दोनों तरह का हो सकता है। सोशल साइट्स के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से नियमित मिलते रहें।
कार्यक्रमों एवं मेलों में हिस्सा लें—यह आपको अपने क्षेत्र के उद्यमियों से मिलने-जुलने का अवसर प्रदान करेगा। यह जुड़ाव आपको सहयोग आइडिया और अवसर पाने में मदद करेंगे।
दूसरों के प्रति भी उदार बनें। नेटवर्किंग का मतलब सिर्फ फायदा लेना ही नहीं होता। आप अपने स्तर पर भी आइडिया, सलाह और मदद दें। ताली दोनों हाथों से बजती है।
ध्यान से सुनें चाहे व आपका सीधा प्रतियोगी ही क्यों न हों। संभव है कि आप उनसे कुछ सीख सकते हैं। लोगों के सफलता के साथ-साथ उनके असफलता से भी सीखने को मिल सकता है। लेकिन यह तब संभव है जब आप किसी को ध्यान से सुनते हैं।
2. ब्रांड बनाएं-
 अपने व्यावसाय के बारे में दूसरे लोगों के साथ ऑनलाइन और ऑफलाइन(व्यक्तिगत) रूप से बात करें। यह तभी हो सकता है जब आपके व्यावसाय एक मजबूत ब्रांड के तौर पर उपस्थिति हो। बिजनेस-कार्ड, वेबसाइट और सोशल मीडिया( फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यू-ट्युब) आपके और आपके व्यावसाय के बारे में आकर्षक और ठोस रूप से जानकारी देती है। यह आपको एक प्रोफेशनल लुक देती है। यह आपके ग्राहक और निवेशक को यह संदेश भी देता है कि आप अपने व्यावसाय को लेकर गंभीर हैं।
सफल कंपनी की वेबसाइट और ब्रांडिग को देखें, रोचक और सबमें समान रूप से पाये जाने वाले गुणों का पता करें। इसके आधार पर अपने ब्रांड को बनाएं। ( किसी दूसरी कंपनी/संस्थान की नकल करने से बचें)
आप प्रोफेशनल ब्लॉग की शुरुआत कर सकते हैं। खासकर जब आप अपने उद्यम के माध्यम से कोई सेवा प्रदान कर रहे हों। अपने निवेशकों और ग्राहकों को खुद के आइडिया और अनुभव बताने के लिए यह एक बेहतरीन जरीया है।
3.निवेशकों से जुड़ने के लिए अपने नेटवर्क का इस्तेमाल करें
 आपका नेटवर्क आपको निवेशक से जोड़ने में मदद कर सकता है। संभव हो कि आपको जानने वाला ऐसे व्यक्ति को जानता हो जो आपके आइडिया पर निवेश करना चाहता हो। किसी रेफरेंस के माध्यम से निवेशक के पास जाने पर वह आपके पिच पर गौर करता है और विश्वास भी। अधिकतर मामलों में देखा गया है कि निवेशक बिना आमंत्रण के भेजे गए प्रस्ताव पर जल्द विचार नहीं करते हैं।

जब भी मौका मिले मदद करने वाले नेटवर्क के साथी की सहायता करें। लोग आपको तब मदद करने के इच्छुक होते हैं जब उनकी जरूरत भी पूरी होती है। उद्यमी बनने के लिए एक मित्रभाव जरूरी है।

4.अपने निवेशक को पहचानें
 अपने संभावित निवेशक के सामने अपने आइडिया बताएं (पिच करें)। निवेशक का निर्धारण आपके व्यावसाय के प्रकृति के आधार पर होता है। नेटवर्किंग, निवेश के टिप्स और अवसर को जानने के लिए एक उत्तम जरीया है।
ध्यान रखें कि वेंचर कैपटलिस्ट दो बातों पर अपना ध्यान देते हैं। पहला, उन्हे कितना पैसा लगाना है फायदा कितने समय में मिलना शुरू हो जाएगा। हर साल सैकड़ों-हजारों व्यावसाय शुरू होते हैं लेकिन करीब सिर्फ 500 उद्यम को निवेश मिल पाता है। सामाजिक उद्यम एवं लोन आधारित व्यावसाय में यह संख्या ज्यादा हो सकती है, लेकिन यहां भी ज्यादातर लोग निवेशक(सामाजिक उद्यम के संदर्भ में दानकार्ता भी एक निवेशक हो सकता है) ढूंढने में असफल रह जाते हैं।

अगर आप प्रोफेशनल सेवा जैसै कि सलाह, एकाउंटिंग, लॉ के क्षेत्र में अपना उद्यम स्थापित करना चाहते हों तो इस क्षेत्र के अनुभवी पार्टनर के साथ साझेदारी में काम करें। यह निवेशक को पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

छोटे स्तर पर अपने व्यावसाय को शुरू करना एवं ग्राहकों के छोटे समूह को संतुष्ट करना ज्यादा भरोसामंद है। कम-से-कम धन से व्यावसाय को शुरू करना सफलता के रास्ते तक ले जाती है।
5.अपने सेवा और प्रोडक्ट को बेचें
आइडिया टेस्ट करने के लिए अपने प्रोडक्ट और सेवा को लोगों के बीच ले जा सकते हैं। आप अपने प्रोडक्ट/सेवा को बेचें। अगर आप लाभ में हैं तो आप सफल हैं। ऐसा करके आप जान सकते हैं कि कौन-सा आइडिया चलेगा और कौन नहीं। यह आपको नए आइडिया बनाने एवं सुधार करने का मौके देगा। तो उद्यमी बनने के लिए बदलाव के लिए तैयार रहें और जमकर मेहनत करें।

Friday 1 April 2016

नई सदी के नए कौशल

तकनीक ने ज्ञान और सूचना पर मनुष्य के एकाधिकार को खत्म किया है। अब यह मानव के बौद्धिकता की जगह ले रही है। कम्प्युटर, मोबाइल, टैबलेट जैसे उपकरणों में सारा ज्ञान, सूचना और बौद्धिकता समा रहा है। अब मोबाइल का कैमरा फोटो लेने के अलावा पढ़ सकता है। वह चित्र भी पहचान सकता है। आपका मोबाइल फोन सुन सकता है। सुन कर दोहरा सकता है। उसे आपके मनपसंद भाषा के शब्दों में बदल सकता है। कहने का मतलब है, तकनीक ने कृत्रिम आंख, कान बना लिया है, जिसके पास अब बुद्धि भी है।
लेकिन इसे मानव का प्रतियोगी नहीं समझा जाना चाहिए। बल्कि इसे मानव सभ्यता के विकास के उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में देखा जाना चाहिए। यह एक बड़ी चुनौती है। क्या इस तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ वैज्ञानिक और कुछ खास लोग ही कर पायेंगे। या इसे सर्वसुलभ बनाया जा सकता है।
पहली शर्त कम्युटर और अन्य तकनीकी साधनों तक छात्रों की पहुंच सुनिश्चित करने की होगी। दूसरी उनको चलाने की बेसिक जानकारी छात्रों को होनी चाहिए। डिजिटल साक्षरता इसका समाधान हो सकता है। उदाहरण के तौर पर न्यू मीडिया, वेब 2.0, विभिन्न सर्च इंजन, सोशल साइट्स, गूगल के विभन्न टुल्स जैसे गूगल ट्रांसलेटर, गूगल मैप की जानकारी होनी चाहिए। वहीं छात्रों को अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यमों जैसे शब्द, पेंटिग, ऑडियो-विजुअल सभी माध्यम को कम्प्युटर से कर पाने में सक्षम बनाया जाना चाहिए।
ज्ञान का ग्लोबल आदान-प्रदान और बहस के फलक को बड़ा बनाना चाहिए। इसके लिए स्कूली शिक्षा में स्थानीय समझ के साथ-साथ बाहरी दुनिया से भी जोड़ने की जरूरत है। अंग्रेजी ग्लोबल भाषा है। अंग्रेजी भाषा के गुणवत्तापूर्ण शिक्षण से छात्रों को अधिकतम ज्ञान और बाकी दुनिया से जोड़ा जा सकता है।
अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने के बाद अगला चरण उनके सही इस्तेमाल का आता है। बेशक इसके लिए इंटरनेट के सही इस्तेमाल और उन्हे सभी खतरों से बचने की ट्रेनिंग होनी चाहिए। आज इंटरनेट पर सारी जानकारी तेजी के साथ इकट्ठी हो रही है। अनुवाद, टेक्सट-टू-स्पीच जैसी तकनीक में जिस तेजी से विकास हो रहा है आने वाले दिनों में उम्मीद की जा सकती है कि विभिन्न भाषाभाषी के बीच की समस्य़ा ही खत्म हो जाये।
आने वाले समय में शिक्षा को मानव को अधिक संवेदनशील, मानवीय, जागरूक, सृजनशील, वैज्ञानिक सोच, सामुदायिक, समस्या दूर करने वाला, विश्लेषणात्मक, कौशल युक्त, बनाने वाला होना चाहिए।

आने वाले समय में कई गंभीर चुनौतियां आने वाली है। यह वातावरण, सामाजिक, आर्थिक, मनोगत और व्यक्तिगत हर क्षेत्र में हो सकते हैं। पढ़ाये जाने वाले विषय को आस-पास से जोड़ने के अलावा आने वाली समस्या के लिए भी तैयार करने की जरूरत है। आने वाली पीढ़ी को समस्या के समाधान के लिए समक्ष बनाने के लिए रीजनिंग को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
तकनीक के विकास के साथ हम एक साथ कई बड़े स्तर पर काम को निपटा रहे होंगे। ऐसे हालात में सटीक निर्णय लेने की जरूरत होगी। छोटी-सी भूल किसी बड़ी गलती की ओर ले जा सकती है। ऐसे हालात में छात्रों को युक्तिपरक(rational) सोच विकसित करने की जरूरत होगी। कौन-सी सूचना जरूरी है और कौन-सी फजूल है उसे परखने की क्षमता छात्रों में होनी चाहिए।
आने वाले समय में तकनीक कई काम अपने जिम्मे ले लेगा। ऐसे हालात में दक्ष लोगों की संख्या बढ़ेगी। लेकिन समस्या को सुलझाने के लिए अलग-अलग क्षेत्र के लोगों की जरूरत होगी जिनके बीच आपसी तालमेल बनाये रखने की जरूरत होगी। ऐसे हालत में छात्रों को साथ मिलकर काम करने के अभ्यास को बढावा देना चाहिए। अपनी रुची और क्षमता के साथ-साथ कमियों को वो जान पाये उन्हे इसका ज्ञान होनी चाहिए ताकि वो बेहतर लोगों से तालमेल बैठा पायें। आने वाले समय में संभावना है कि कम्प्युटर के कामों की निगरानी ही इंसान की जिम्मेवारी हो।
जिस तेजी से सभी सूचनाएं इकट्ठी हो रही है। आज का इतिहास सबसे बड़ा लिखित इतिहास होगा। आने वाले समय में इस डाटा के आधार पर निर्णय होने की उम्मीद है। उसे विश्लेषण करने वाले एक्सपर्ट की जरूरत होगी।
इस बात का भी डर है कि आने वाले समय में मानव का मशीनीकरण न हो जाए। इंसान की इंसानियत बचाये रखने के लिए उन्हे नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जानी चाहिए। हां, इस बात का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए कि यह नैतिक मूल्य की शिक्षा आपसी सद्भाव और भाईचारा पर आधारित हो और इससे उनके विश्लेषणात्मक क्षमता पर कोई प्रभाव न पड़े।


Tuesday 29 March 2016

सफरनामा

शाम को मैंने पापा के साथ सब्जियों के कुछ पौध लगाये थे। रात को तेज बारिश हुई। सुबह जब मैं अपने खेत पर पहुंचा। वहां कुछ भी नहीं था। मुझे अपने पौध के बह जाने का बहुत दुख हुआ था। तब उम्र कितनी थी, यह याद नहीं।

हर साल जब बाढ़ आती थी हमारे खेत में लगे फसल पानी में डूब जाते थे। उस रात भी पूरे खेत में अचानक पानी भर गया। हमें पता ही नहीं था; नेपाल का बांध तो तीन दिन पहले टूट चुका था।
स्कूल के दिनों की एक और बात याद आ रही है। वसंत का महीना था। पूरा गांव पीले-पीले सरसों के फूलों से भर गया था। होली का उत्साह दुगुना हो चला था, क्योंकि इस बार बहुत अच्छी फसल होने वाली थी। लेकिन उस बरस सरसों का बाजार मूल्य कम हो गया। लागत मूल्य निकालना मुश्किल हो गया। हमें बाजार का कुछ पता ही नहीं था।
आज जब अपने गांव से बाहर हूं। मुझे ऐसे सैकड़ों गांव नजर आते हैं। जहां शाम को लगी सब्जियों के पौध सवेरे तक मर जाते हैं। और उन्ही के साथ मर जाते हैं उन पौध को लगाने वाले। साल दर साल आत्महत्या करने वाले किसानों की बढ़ती संख्या मुझे विश्वास नहीं करने देता कि सच में कोई अच्छे दिन आये हैं।

घर में रेडियो था। वह हमें दूसरी दुनिया की बातें बताती थी। हां, उसकी जुबान मेरी जैसी थी। जब मेरी बात रेडियो पर आती थी। मैं खुश हो जाता था। एक रोज मेरी किताब की कविता रेडियो पर आयी और मैं उछलने लगा। फिर अखबार से दोस्ती हुई। लेकिन पाठक की चिट्ठी में जगह बहुत देर से मिल पायी। मेरे पास नंदन होता था। लेकिन वो महीने में एक बार ही छपकर आती थी। मुश्किल से वह दो दिन चल पाता था। आस-पड़ोस में कुछ धार्मिक किताबें थी। बाकी दिन उनकी कहानियों को पढ़ा करता था। जो मेरे उम्र के हिसाब से बहुत बड़ी-बड़ी बातें करती थीं। ब्रह्मचर्य एक ऐसा शब्द था जिसका जिक्र बार-बार होता था। बहुत बाद में इसका मतलब पता चला।
अखबार से मेरी शिकायत थी। उसमें मेरे गांव को शहर से जोड़ने वाले पुल के शिलान्यास की खबर तो आयी। लेकिन 15 साल तक उसके नहीं बन पाने की चर्चा बस गांव के चौपालों तक ही होती रही। तब तक मैं गांव से शहर, कॉलेज में पहुंच चुका था। जब शहर के कॉलेज में पहुंचा, मेरे स्कूल के दोस्त कहीं पीछे छूट गये। शायद वो पढ़ सकते थे। लेकिन उन्हें वो किताबें पसंद नहीं आयीं क्योंकि वो दूसरी दुनिया की बातें करती थीं। जिन्हें समझ में आयी उन्हें सही रास्ता नहीं मिला। कुछ आगे की पढ़ाई पूरी कर पाते अगर उन्हे सरकारी प्रयासों की जानकारी मिल पाती।

 आगे की पढाई के लिए घरवालों की सलाह में एक आदेश था। इंटरमीडियट में विज्ञान विषय चुन लिया। विज्ञान मुझे पसंद था लेकिन कागज पर उकेरे बिंदु और रेखा को अपने जिन्दगी से जोड़ ही नहीं पाया। न कोई ऐसी किताब मिली जो मुझे ऐसा कर पाने में मेरी मदद कर पाये। मैं दुनिया को समझना चाहता था। उन सबकी बात सुनना और सुनाना चाहता था जो अब भी हाशिये पर थे। मैं चाहता था गांव के लोगों को बाजार की बेहतर जानकारी होनी चाहिए। छात्रों को उनकी रुचि और जरूरत की किताबें मिलनी चाहिए। उन्हें सरकारी योजनाओं की सही और सरल सूचना मिल पाये। लगा पत्रकार के तौर पर यह काम बेहतर कर सकता हूं। कॉलेज की पत्रिका के साथ लिखने की शुरूआत की। उन्हीं दिनों युवाओं के लिए नवहुंकार पत्रिका भी निकालता था। एक  समूह के 75 साल पूरे होने पर उसका सॉवेनियर भी निकाला।

साहित्य में दिलचस्पी थी। मेरी हिन्दी  शायद अच्छी थी इसलिए स्नातक के लिए हिन्दी के साथ अंग्रेजी को भी चुना। जिस कॉलेज में स्नातक के लिए दाखिला मिला उसकी गिनती औसत कॉलेजों में होती थीं। जहां के लाइब्रेरी से किताबें नहीं मिलती थीं। एनसीसी एनएसएस फंक्शन में नहीं था। कॉलेज के थियेटर ग्रुप में चंद लोगों का दबदबा था। और हाल ही में स्कूल प्रशासन पर खेलकूद के सामानों के घपलों का आरोप लगा था। हमने अलग-अलग रुचि वाले लोगों की पहचान कर सभी मसलों पर काम किया। पिछले दिनों जब मैं छुट्टियों में अपने शहर गया। मैनें अपने कॉलेज के सामने नैक का दिया ए+ ग्रेड लिखा देखा। मुझे इस बात का गर्व रहेगा कि इसमें मेरा भी योगदान है।

मैं अनक्षरा और इप्टा के साथ सामाजिक-राजनैतिक मुद्दो पर दर्जनभर थियेटर किया हूं। आरटीआई के इस्तेमाल से बिहार के विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की बहाली की अनियमितता को उजागर किया।
एक बेहतर प्लेटफार्म और नवोन्मेषण के लिए देश के प्रतिष्ठित संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान में दाखिला लिया। बाद में हरिभूमि में सह-संपादक की जिम्मेदारी मिली। लेकिन समाज को शिक्षित करने, सूचना देने की ख्वाहिश पूरी नहीं हो पा रही थी। समाज को शिक्षित करने और शिक्षा-व्यवस्था को समझने के लिए गांधी फेलोशिप ज्वाइन किया।

पांच अलग-अलग भाषाओं वाले स्कूलों में हेडमास्टर, शिक्षक, छात्र, कम्युनिटी और सिस्टम के साथ काम करने का मौका मिला। इस दरम्यान हमने अपने स्कील्स से स्कूल के सर्वांगीण विकास के लिए काम किया। हमने कम्युनिटी रीडिंग प्रोग्राम शुरू किया जिसमें तकनीक के इस्तेमाल से कम्युनिटी को शिक्षित करने की कोशिश की। हमने बच्चों के लिए कम्युनिटी वॉल मैगजीन शुरु किया जहां छात्र अपनी बात कह सकते थे। हमने कुछ पब्लिक सिस्टम प्रोजेक्ट किया जिनमें युवाओं को आरटीआई और सिस्टम के बारे में जानकारी देना, महिलाओं को फैमली हेल्थ के बारे में अवगत कराने जैसे कार्यक्रम शामिल रहे है। फैलोशिप से हमने जिन्दगी जीना सीखा है। हमने साथ मिलकर काम करना सीखा है। हमने समस्याओं को गहराई से जाना है। अब मैं सिर्फ सिस्टम की आलोचना ही नहीं करता हूं, उसको दूर करने के सामुदायिक हल भी ढूंढने में विश्वास करता हूं।

  






Tuesday 28 July 2015

सूरज तुम कहां हो?

प्रिय सूरज
सोचा था, तुम्हे अपने कहानी का हीरो बनाउंगा। लेकिन मेरा हीरो गुम हो जाएगा और उसे बुलाने के लिए चिट्ठी लिखनी पड़ेगी, किसे मालूम था। जब मैं अनाथआश्रम रहने आया। तुमसे बात करके लगा, तुम यहां खुश हो। तुम ही तो कहते थे “यह आश्रम सबसे बेहतर है।“ फिर क्या हो गया कि तुम यहां से भी चले गए। 
तुम्हे रोज क्लास को संभालते देखता था। परसो स्कूल गया तुम नहीं दिखे। चिंता हुई। तुम्हारे सहपाठी ने बताया तुम भी आश्रम से भाग गए। सुन कर अच्छा नहीं लगा। उससे भी बढ़कर तुम्हारा फोन न करना अखरा। मोबाइल नंबर क्यों लिया था? कोई दिक्कत थी, तो बताना चाहिए था। मैं कुछ कोशिश करता।
अब जब तुम स्कूल में नहीं मिलते हमारी आंखे ढूंढ़ा करती है तुमको। तुम्हारी जरूरत महसूस होती है; जब बच्चे शोर मचाते हैं। तुम्हारे बिना अब आश्रम जाते हुए पहले जैसा अपनापन नहीं लगता।
जब मैं अनाथआश्रम आया यहाँ का माहौल बिल्कुल अपरिचित था। तुमने उसमें अपनापन घोला। जब पूरे दिन की भागदौड़ के बाद शाम को आश्रम लौटता था। तुम दान में मिले चॉकलेट और पाव संभाल कर रखते थे। याद है, आइसक्रिम का क्या हाल हुआ था। आज जब कपड़े कई दिनों तक तार पर टंगे रहते हैं, हवा से गिर कर धूल-मिट्टी से सन जाते हैं। उस वक्त तुम्हारी याद आ जाती है। शाम को जब आश्रम लौटता था। कपड़े तह कर अपने जगह मिलते थे। इसके लिए कभी थैंक्स नहीं कह पाया।
तुम कहां होगे? किसी  ढाबे पर सूरज से रामू बन गए होगे। या 
किसी प्लेटफार्म पर मजदूरी कर रहे होगे या कुछ औऱ। किसी ने तुम्हे बंधुआ मजदूर तो नहीं बना लिया?  तुम भी बचपन को खोते हजारों बच्चों में  शामिल हो गए! सोचता हूं तो दुख होता है।
तुम्हें तो मालूम है, मुझे नाम याद नहीं रहता। लेकिन तुम्हारा नाम जेहन में उतर गया है। तुम जल्द लौट आओ। तुमसे एक कंफेसन भी करना है। मैंने झूठ बोला था कि मैं भी तुम्हारे जैसा हूं। असल में मैं तुम्हारे लिए इंसपरेसन बनना चाहता था। मैं समझ सकता हूं, बिना परवरिस के आगे बढ़ना कितना मुश्किल होता है। तुम जब मिलोगे पूछना है, जिसने समाज से हर पल तिरस्कार सहे, जो प्यार के लिए तरसा उसके अंदर इतना प्रेम कहां से आया। तुमसे बचपन में बड़े होना सीखना है।
बेवकूफ, तुम्हे तो ठीक से पढ़ना भी नहीं आता। किसी पढ़े-लिखे के हाथ जब यह चिट्ठी लगेगी। शायद वह समझा पाये कोई तितली वाले उस डिब्बे को कोई खोल कर एक पेन, एक ताबीज और पेंटिंग देखा करता है।
तुम्हारे इंतजार में
गौरव सर

Thursday 12 February 2015

धर्मगुरु के धर्म

घर से ऑफिस जाते हुए दो दृश्य इस रायते का जिम्मेदार है। छह महिने सूरत में रहते हुए यह रास्ता सबसे ज्यादा परिचित हो चला है। पहला दृश्य ऑटो के पीछे लगी बैनर का था। बैनर पर आसाराम युवाओं से 14 फरवरी को मातृ-पितृ दिवस मनाने की अपील कर रहे थे। दूसरा दृश्य मजदूरों के एक झुंड का था जो अपने पुराने कमीज पर एमएसजी छपे नए टी-शर्ट पहन रखा था|
राम रहीम नें सारी हदें तोड़ दी 

वैलेंटाइन डे पर हर साल हल्ला मचता है। सो इस हल्ले में शामिल हो आसाराम कम से कम उन तथाकथित हिन्दुओ के संगठनों में फिर से जगह बना लेना चाहते हैं, जो नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप की वजह से खत्म हो चली है। वहीं राम रहीम अपनी फिल्म के जरिये नये भक्तों की तलाश कर रहे हैं।

संविधान के मुताबिक हमें अभिव्यक्ति की आजादी है। आजादी कहां तक और कितनी है। यह तो सरकार अपने सहूलियत से तय करती रही है। फिलहाल केन्द्र की सरकार का भरोसा बना हुआ है कि बाबाओं के भक्तों के वोट से चुनाव में बढ़त बनायी जा सकती है। चाहे एमएसजी के रिलीज को हरी झंडी देकर दिल्ली में रामरहीम के समर्थन पाने का फंडा भले ही फेल हो गया हो। लेकिन तरकश में कई तीर हैं तो कई जंग और भी लड़ने हैं।
सरकार इन बाबाओं की काली करतूतों और ढ़कोसलों पर रोक लगाने का रिस्क नहीं लेती। जबतक घाव कैंसर जैसा नहीं बन जाती।

photo google
वैसे भी देश के सीने पर ऐसे अनगिनत घाव हैं। सरकार कभी घर्मनिरपेक्षता के नाम पर कभी धर्म के नाम पर इन घावों पर हाथ नहीं लगाती और कैंसर बनने तक इंतजार करती है।
देश में दर्जनों धर्म उनके सैकड़ों पंथ और उनके करोड़ों मैसेंजर। सबकी अपनी-अपनी दूका
नें हैं। सबके ग्राहक हैं। सबके बीच ग्राहक बढ़ाने की जोर आजमाइश भी। जब भी कोई नई दुकान खुलती है। वहां नियम कायदों में ढील दी जाती है।

अपने मार्केटिंग के लिए पब्लिक रिलेशन और टारगेड आडियंस के सिद्धांत का यहां भी पालन बखूवी होता है।
उपवास-ब्रह्मचर्य-पश्याताप-दान और गुरू का शरण ये उपाय सभी बाबाओं के दुकानों में कॉमन होती हैं।
 यहां से निकलने वाले प्रचारात्म साहित्यों में ब्रह्मचर्य को आदर्श जीवन पद्धति बताया जाता है। इन दूकानों से छपने वाली साहित्यों व प्रवचनों में ब्रह्मचर्य पर बड़ा सा व्याख्यान होता है। जो मनोविज्ञान के जनक फ्रायड को सीधी चुनौती देते हैं। हालांकि ब्रह्मचर्य भंग होने पर पश्चाताप, यानी की खुद को कोसने की सलाह दी जाती है। इसके अंतर्गत उपवास यानी भूखे रहकर खुद को कष्ट देने की बात कही गयी है। हलांकि आप दान देकर रियायत पा सकते हैं। ब्रह्मचर्य के फंडे से युवाओं को मुख्य रूप से टारगेट किया जाता है, उन्हे कुंठित कर बाबाओं का दास बना लेने का प्रयत्न होता है। यह और बात है कभी चार कभी छह बच्चे पैदा करने  के फरमान भी औरतों को मिलते रहते हैं। क्योंकि शायद बाबा लोग मानते हैं बच्चे भगवान की देन हैं।

मां-बाप को प्रवचनों में बताया जाता है कि भक्ति के अंकुर बचपन में ही फूटते हैं। इसलिए संत्संग की आदत बचपन से लगानी चाहिए। इस तरह बच्चों के खाली दिमाग को वाहियात कुड़ों से भरने की कोशिश होती है।
औरते बाबाओं की सबसे बड़ी ऑडियंस होती हैं। इसके लिए बाबाओ को खास मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। रामायण, पुराण और स्मृति उनकी मददगार होती हैं। धर्म की किताबों के मुताबिक औरत होना ही पूर्व जन्म के कुकर्मों का फल है। इससे मुक्ति का मार्ग बाबाओ की शरण में ही हो सकता है। व्रत उपवास पश्चायाताप ये सब इसके साथ सप्लीमेंट्स हैं।

प्रवचनों में बुजुर्गों को मरने पर नर्क का भय दिखाया जाता है। नरक का भयंकर वर्णन किया जाता है। मुक्ति के लिए गुरू की शरण ही एक मात्र विकल्प बताया जाता है। दान-पश्याताप तो है हीं।
इसके अलावे नये ट्रेंड में नये हरकते भी शामिल हो रहे हैं। जैसे पैसै के लिए काला पर्स रखना। दर्जनों टोटके जो दूसरे बाबाओं के पारंपरिक उपचार से अलग हैं। ये शार्टकट उपाय बताते हैं। ये आज के भागदौर के जमाने को ध्यान में रखकर बनायी गयी है।

इसके अलावा देश में एक और परिवार है जो धर्म को साइंस से जोड़ता है। इसके लिए उल-जलूल आंकड़े भी प्रस्तुत करता है। भूतों के किस्सों का इतिहास बताता है। भोज और कर्मकांडो को गलत बताकर आडंबरों का विरोध करने वाले लोगों को शामिल करता है। हलांकि यहां भी ब्रह्मचर्य पर खासा जोड़ दिया जाता है।
इनके शरण में जाने के बावजूद भी अगर आपकी परेशानियां नहीं खत्म होती है तो इसके दोषी भी आप ही होते हैं। इसके दो कारण बताए जाते हैं। सद्गुरू के चरणों में विश्वास की कमी और सच्चे मन से प्रर्थना का अभाव। कोई बताएगा विश्वास कैसे आता है। सच्चे मन से प्रर्थना कैसे होती है।

Friday 9 January 2015

नाना जी आप याद आते हैं।

आम और लीची में
आते हैं जब मंजर
नानाजी आप बहुत याद आते हैं।
डब्बे वाले घी में नहीं रहती वो मिठास
आप बहुत याद आते हैं।
नानी के झुर्रिदार चेहरे को देखकर
आप बहुत याद आते हैं।
जब लिखने पर मिलती है शाबाशी
आप बहुत याद आते हैं।
जब जाता हूं स्कूलों में
बच्चों को सुनाता हूं कहानी
आप बहुत याद आते हैं।
जब होता हूं कमजोर
आप बहुत याद आते हैं।
जब मां बाबूजी की करनी होती है शिकायत
आप बहुत याद आते हैं।
जब विदा होने की तैयारी कर रहे थे आप
सुना रहा था मैं अखबार
खबर सुनाते हुए बहुत याद आते हैं आप
आप सपनों में आते हैं,
जैसे किसी के बिमार पड़ जाने पर
आप संभाल लेते थे मोर्चा
आप रहेंगे हमारे साथ
जोड़ में, घटाव में
मेरे लिखे शब्दों में
आप हर साल आयेंगे
आम के मंजर में

लीची की खुशबु में।